एक कल्पना, एक अनुभूति
जगा गया था कोई,
भरे रेगिस्तान में मॄग-मरीचिका
दिखा गया था कोई,
दोष उसका भी न दूँगी मैं
स्वप्न जो सजा गया था कोई,
शायद खुद का ही "भरम" था जो लगा
कि अपना बना गया था कोई !!
जगा गया था कोई,
भरे रेगिस्तान में मॄग-मरीचिका
दिखा गया था कोई,
दोष उसका भी न दूँगी मैं
स्वप्न जो सजा गया था कोई,
शायद खुद का ही "भरम" था जो लगा
कि अपना बना गया था कोई !!
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