अभी कल तक सारी बातें जैसे भूल सी गई थीं,
उस मुलाकात की यादें धूमिल हो चुकी थीं,
एहसासों की नर्मी मायने खो चुकी थी,
कल के शामियाने पर आज की परत चढ़ने लगी थी ,
सब छोड़ जिंदगी आगे बढ चुकी थी,
अपने ही संजोए सपनों में नया रंग भर चुकी थी,
अब तो दिल भी यकीं कर बैठा था .
बसंत की बयार में भी झुलसना सीख चुका था.
पर आज मौसम की ये पहली बरसात ,
एक ही बौछार में सारी कोशिशें बहा ले गई.
अरसे से लगाया बाँध तोड़ कर ,
भावनाएँ सैलाब का रुप ले उमड़ पडी़
वो रात भर जागती आखों में सपने सजाना,
वो तारों को निहारना , हवा से बतियाना ,
हर बात की सौगात कुछ ऐसे ले कर आई बरसात,
जैसे बस अभी की बात हो..........
पर बरसों गुज़ र गए हैं उस मुलाकात को,
तुम्हारी कही हुई हर एक बात को ,
हाँ तब भी तो बारिश हो रही थी, और आज
सालों बाद भी सब फिर याद दिलाने आई है
पर जब यादें ही भीड़ में खो जाना चाहती हैं
तो जाने क्यूँ उन यादों को हरा भरा करने
बादलों का सीना चीर ....
मौसम की पहली बरसात , हर साल चली आती है
जाने क्यूँ हर साल चली आती है , मौसम की ये पहली बौछार !!!!!!!!!
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