meri kalam se
Sunday, January 9, 2011
वो मस्ती का आलम ,
वो हँसी वो ठिठोली
हर दिन बदलता मौसम ,
जैसे हो आँखमिचौली
न जाने सब कहाँ खो गए ,
कि जिंदगी वीरान लगती है
अब तो ना सूरज चमकता है ,
न ही रोज़ शाम ढलती है.
ऐसा क्या गुज़र गया नहीं पता
सब तूफान से पहले का ऐलान लगती हैं....
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