Tuesday, January 11, 2011

मिले तो तुम फिर से,
मिल गए हो या नहीं, पता नहीं
मैं हूँ कुछ खास शायद
आज भी तुम्हारे लिये
पर कह नहीं सकती,
कि असक्षम हूँ पढने में तुम्हारी बातों का तात्पर्य..
कि वो सब बस रसभरा सम्वाद है,
या तुम सचमुच समझाना चाहते हो
कि वो सब बस कल और आज है,
या तुम सचमुच साथ निभाना चाहते हो
समझ नहीं पा रही ,
या समझना ही नहीं चाहती पता नहीं
मिले तो हो तुम फिर से ,
 मिल गए हो या नहीं ,पता नहीं.....

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