कोई छोड़ दे आज तो जाने
कितने पन्ने भर दूँ
जितना दर्द भरा है ज़हन में
कहो तो सब पेश कर दूँ
तेरे इस रवैये पे तो
तुझसे पहले खुद ही नाता तोड़ दूँ
पर नए मोड़ का क्या पता
कहाँ जाकर छोड़ेगा
किसी और पे यकीं किया तो
वो भी कभी मुँह मोड़ेगा
खुद की इस हालत का इल्ज़ाम
खुद पे लूँ या तुझे दूँ
पर इतना तो है तू आज भी हाँ कह दे तो
तेरी खातिर सब छोड़ दूँ.........
कितने पन्ने भर दूँ
जितना दर्द भरा है ज़हन में
कहो तो सब पेश कर दूँ
तेरे इस रवैये पे तो
तुझसे पहले खुद ही नाता तोड़ दूँ
जो तुझपे जाकर रुका करती थी
वे सारी राहें मोड़ दूँपर नए मोड़ का क्या पता
कहाँ जाकर छोड़ेगा
किसी और पे यकीं किया तो
वो भी कभी मुँह मोड़ेगा
खुद की इस हालत का इल्ज़ाम
खुद पे लूँ या तुझे दूँ
पर इतना तो है तू आज भी हाँ कह दे तो
तेरी खातिर सब छोड़ दूँ.........